**मायके गई हुई पत्नी का, अपने पति को पत्र* ............
कामवाली को तनख्वाह दे दी है, ज्यादा दानवीर कर्ण बनने की कोशिश मत करना, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।
आपको हज़ार बार बता चुकी हूँ , फ़िर से आख़िरी बार बता रही हूं कि पडोसन का अख़बार वाला, दूध वाला और लॉन्ड्री वाला हमारे वाले से अलग है। हर रोज़ सुबह सुबह पूछने मत पहुँच जाना कि अख़बार आया कि नहीं, क्योंकि मैं अच्छी तरह जानती हूँ आप ऐसा क्यों करते हो ।
अलमारी में बायीं तरफ पर आपकी बनियान औऱ चड्डी रखी है औऱ दायीं तरफ मुन्ने की हैं । पिछली बार की तरह उसकी मत पहन लेना नहीं तो फिर सारा दिन ऑफिस में ऊपर नीचे खींचते रहोगे।
इस बार अपना चश्मा सही जगह पर रखना । पिछली बार जब मैं पांच दिन बाद आई थी तो ढूंढते ढूंढते आपका चश्मा फ्रिज के अंदर से मिला था।
अपना मोबाइल भी संभाल कर रखना। पिछली बार बाथरूम में साबुन की जगह पर मिला था। मुझे तो आज तक यह पता नहीं चल सका कि आखिर बाथरूम में मोबाइल का काम क्या होता है।
और हाँ, अपने सगे-संबंधियों और यार-दोस्तों को ज्यादा जमा मत करना, पिछली बार सोफे के कवर से कितनी सारी मूंगफलियों के छिलके निकले थे, पता नहीं मेरे नहीं रहने पर आप लोग इतनी मूंगफलियाँ खाते क्यों हो ??
और ज्यादा उछलने की ज़रुरत नहीं है , मैं कभी भी बिना बताए अचानक आ सकती हूँ, ख्याल रखना।
वैसे तो आपको कुछ बोलने से फ़ायदा है नहीं, फ़िर भी बता दे रही हूँ कि आपकी हरकतों के कारण मैंने तो आपको अब कुछ बोलना ही छोड़ दिया है । 😂🤪
😄😄😄😄